तैलंग स्वामी का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके माता का नाम विद्यावती देवी और पिता का नाम नरसिंह राव था। वे दोनों भगवान शिव के भक्त थे। इसलिए उन्होंने उनका नाम शिवराम रखा था। ऐसा माना जाता है कि वह भगवान शिव के अवतार थे और श्री रामकृष्ण परमहंस ने तैलंग स्वामी को वाराणसी के चलते फिरते शिव के रूप में वर्णित किया था।
तैलंग स्वामी एक महान योगी थे, जिनके पास कई दैवीय शक्तियां थी। उन्होंने असंख्य चमत्कार किये। तैलंगा स्वामी की जयंती पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस साल तैलंग स्वामी की जयंती 21 जनवरी 2024 यानी आज मनाई जा रही है। यह उनकी 417वीं जयंती है।
तैलंग स्वामी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
तैलंग स्वामी का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके माता का नाम विद्यावती देवी और पिता का नाम नरसिंह राव था। वे दोनों भगवान शिव के भक्त थे। इसलिए उन्होंने उनका नाम शिवराम रखा था। ऐसा माना जाता है कि वह भगवान शिव के अवतार थे और श्री रामकृष्ण परमहंस ने तैलंग स्वामी को ‘वाराणसी के चलते फिरते शिव’ के रूप में वर्णित किया था, जब वे 40 वर्ष के थे तब उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। और फिर वे तीर्थयात्रा पर निकल गये।
तैलंग स्वामी के विचार
- तैलंग स्वामी के अनुसार, मोह ही दुख और दुख बंधन का मुख्य कारण है।
- जिस क्षण व्यक्ति संसार और ईश्वर में कोई अंतर नहीं दिखता, उसका जीवन सुखी और आनंदमय हो जाता है।
- जिस व्यक्ति के मन में कोई इच्छा नहीं होती, उनके लिए यह धरती स्वर्ग बन जाती है।
- जब लोग आध्यात्मिक रूप से अधिक सक्रिय होने लगेंगे, तो उन्हें अपने कष्टों से छुटकारा मिलने लगेगा।
- संतुष्ट व्यक्ति सबसे अमीर व्यक्ति होता है और लालची व्यक्ति गरीब होता है।
- इंद्रियां ही व्यक्ति की शत्रु हैं और नियंत्रित इंद्रियां ही सच्ची मित्र हैं।
- गुरु वही हो सकता है, जो मोह, माया से मुक्त हो और अहंकार से परे हो।