आज मनाया जा रहा है रोहिणी व्रत,जाने इस की विधि

जैन धर्म में रोहिणी व्रत को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह उपवास सूर्योदय के अगले दिन या जब उदियातिथि पर रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है तब मनाया जाता है। जैन धर्म के इस विशेष दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा का विधान है। तो आइए इस व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

जैन धर्म में रोहिणी व्रत का खास महत्व है, जो कि 27 नक्षत्रों में से एक है। यह उपवास आत्मा के रोगों को दूर करने और कर्म के बंधनों से मुक्ति दिलाने में सहायता करता है। यह सूर्योदय के अगले दिन या जब उदियातिथि पर रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है तब मनाया जाता है।

जैन धर्म के इस विशेष दिन भगवान वासुपूज्य की आराधना का विधान हैं। मान्यताओं के अनुसार इस उपवास को तीन, पांच या फिर सात सालों तक लगातार रखने के बाद ही उद्यापन किया जा सकता है।

रोहिणी व्रत जनवरी 2024 तिथि

पंचांग के अनुसार, रोहिणी व्रत 21 जनवरी दिन रविवार पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के साथ रखा जाएगा। रोहिणी नक्षत्र का शुभ समय 21 जनवरी सुबह 3:09 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 22 जनवरी दिन सोमवार 3:52 मिनट पर होगा।

रोहिणी व्रत पूजा विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  • पूजा के लिए भगवान वासुपूज्य की पांच रत्न की तांबे या सोने की मूर्ति स्थापित करें।
  • प्रतिमा की विधि अनुसार पूजा करें।
  • फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
  • भगवान वासुपूज्य का ध्यान करें।
  • इस दिन गरीबों को दान देना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
  • किसी के बारे में बुरा बोलने से बचें।
  • अपने मन को शांत रखें।

भगवान वासुपूज्य की आरती

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।

पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।ॐ जय।।

चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे। स्वामी धन्य…

जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे ।।1।। ॐ जय…

बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा। स्वामी महाव्रत…

प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा ।।2।। ॐ जय…

गर्भ जन्म तप एवं स्वामी, केवलज्ञान लिया। स्वामी…

चम्पापुर में तुमने स्वामी, पद निर्वाण लिया ।।3।। ॐ जय…

वासवगण से पूजित स्वामी, वासुपूज्य जिनवर। स्वामी…

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