श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म करने के बाद भोजन कराए जाने की परंपरा है। बहुत से लोग यह कर्म नदी के किनारे करने के बाद भोजन कराते हैं और बहुत से घर पर ही यह कर्म करने के बाद भोजन कराते हैं। आओ जानते हैं कि श्राद्ध का भोजन किनको अर्पित किया जाता है।
पंचबलि कर्म : श्राद्ध में पंचबलि कर्म किया जाता है। अर्थात पांच जीवों को भोजन दिया जाता है। बलि का अर्थ बलि देने नहीं बल्कि भोजन कराना भी होता है। श्राद्ध में गोबलि, श्वान बलि, काकबलि, देवादिबलि और पिपलिकादि कर्म किया जाता है।
1. गौबलि अर्थात गाय को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है। घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा गाय को ‘गौभ्यो नम:’ कहकर प्रणाम किया जाता है।
2. श्वानबलि अर्थात कुत्त को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है।
3. काकबलि अर्थात कौए के लिए छत या भूमि पर भोजन परोसा जाता है।
4. देवबलि अर्थात पत्ते पर देवी देवतों और पितरों को भोजन परोसा जाता है। बाद में इसे उठाकर घर से बाहर रख दी जाती है।
5. पिपलिकादि बलि अर्थात चींटी-कीड़े-मकौड़ों इत्यादि के लिए पत्ते भोजन परोसा जाता। उनके बिल हों, वहां चूरा कर भोजन डाला जाता है।
5. ब्राह्मण भोज : इसके बाद ब्राह्मण भोज कराया जाता है। इस दिन सभी को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाती है। ब्राह्मण का निर्वसनी होना जरूरी है और ब्राह्मण नहीं हो तो ब्राह्मण नहीं हो तो अपने ही रिश्तों के निर्वसनी और शाकाहार लोगों को भोजन कराएं।