हिंदू धर्म में हर महीने आने वाले दो व्रत का विशेष महत्व होता है एक एकादशी और दूसरा प्रदोष व्रत का। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव पूजा और उपासना की जाती है।
आज यानी 30 अगस्त को प्रदोष व्रत है। वैदिक परंपरा में हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मान्यता है प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के दोषों और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
अलग-अलग वार पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत का नाम भी अलग होता है। 30 अगस्त को रविवार है ऐसे में इस प्रदोष को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है लेकिन रवि प्रदोष के दिन भगवान सूर्य की भी उपासना की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है रवि प्रदोष व्रत रखने यह दोष खत्म हो जाता है।
प्रदोष व्रत पर पास के शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को जल चढ़ाकर शिव के मंत्र जपें। इसके बाद पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित की जाती है। इसके बाद सूर्य देव को भी जल अर्पित कर उनको प्रणाम करें।
सोमवार – इस प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम् या चन्द्र प्रदोषम् भी कहा जाता है। इस दिन साधक अपनी अभीष्ट कामना की पूर्त्ति के लिए शिव की साधना करता है।
मंगलवार – इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम् कहा जाता है और इसे विशेष रूप से अच्छी सेहत और बीमारियों से मुक्ति की कामना से किया जाता है।
बुधवार – बुध प्रदोष व्रत सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला होता है।
गुरुवार – गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। शत्रुओं पर विजय पाने और उनके नाश के लिए इस पावन व्रत को किया जाता है।
शुक्रवार – इस दिन पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलता है।
शनिवार – इस प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम् कहा जाता है। इस दिन इस पावन व्रत को पुत्र की कामना से किया जाता है।
रविवार – रविवार के दिन किया जाने वाला प्रदोष व्रत लंबी आयु और आरोग्य की कामना से किया जाता है।