चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा 25 मार्च बुधवार से विक्रम नवसंत्सवर 2077 की शुरुआत होगी। इसी दिन से वासंतिक नवरात्र भी शुरू होगा। इस बार के नवसंवत्सर का नाम प्रमादी है। इस बार नव संवत्सर पर बुध का प्रभाव रहेगा। मान्यता है कि चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि जिस दिन होती है उसी दिन जो वार होता है वही संवत्सर का राजा माना जाता है।
समाज में स्थापित होगा सामंजस्य: ज्योतिष परामर्श एवं प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक ज्योतिषाचार्य अवध नारायण द्विवेदी के अनुसार प्रमादी संवत का राजा बुध और मंत्री चंद्रमा है। इस संवत्सर में सस्येश गुरु, दुर्गेश चंद्र, धुनेश गुरु, रसेश शनि और धान्येश बुध है। संवत्सर का निवास कुम्भकार के घर रहेगा। नवसंत्सर के मंत्रिमंडल से समाज में सामंजस्य पैदा करेगा। भारत के प्रति विश्व का आकर्षण बढे़गा। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि उच्चपदस्थ प्रशासकों और सहयोगियों के प्रति असंतोष की स्थिति बनेगी।
सरकारी कोष में होगी वृद्धि
ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे के अनुसार नवसंवत्सर के राजा बुध होने से तकनीकी क्षेत्र में देश को बड़ी उपलब्धि प्राप्त होगी। धन-धान्य में वृद्धि होगी। मंत्री चंद्रमा होने का प्रभाव आम लोगों के मन में असंतोष और दुविधा की स्थिति बनी रहेगी। मेघेश पर सूर्य का प्रभाव होने से सूर्य का प्रभाव अधिक रहेगा। धनेश पर बुध का प्रभाव होने से व्यापार में लाभ मिलेगा। कोष में वृद्धि होगा।
खरमास के कारण नहीं बजेगी शहनाई
14 मार्च से खरमास शुरू हो गया है। इसलिए 13 अप्रैल तक मांगलिक कार्य स्थगित रहेंगे। ज्योतिषाचार्य बहोरे के अनुसार खरमास में सूर्य का गुरु की राशि में गोचर होने से पूजा-पाठ, अनुष्ठान के लिए उपयोगी होगा। साथ ही स्नान, दान और पितरों को श्राद्ध भी किया जा सकता है।